विश्व कौशल प्रतियोगिताओं में अब तक का अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए भारत ने आबू धाबी में संपन्न 44वीं विश्व कौशल प्रतियोगिता में एक रजत तथा एक कांस्य के साथ पदक तालिका में अपना स्थान बना लिया। इससे पहले 2009 में उसे रजत पदक मिला था, जबकि 2015 में उसे पांच मेडेलियन से ही संतोष करना पड़ा था। भारत के लिए ये पदक मोहित डुडेजा तथा किरण ने जीते, जिन्होंने क्रमशः पेटीसेरी एवं कन्फेक्शनरी और प्रोटोटाइप माडलिंग में रजत तथा कांस्य जीतकर देश का नाम रौशन किया। इससे पहले नीकम प्रियदर्शन 40वीं विश्व कौशल प्रतियोगिता में भाग लेते हुए देश को उसका पहला पदक दिला चुके थे। उन्होंने कनाडा के कैल्गेरी में सांचा निर्माण कला के लिए रजत पदक हासिल किया था।
आबू धाबी में पिछले 14 से 18 अक्टूबर को आयोजित 44वीं विश्व कौशल प्रतियोगिता में भारत की ओर से कुल 28 प्रतियोगियों ने 26 स्पर्घाओं में भाग लिया और दो पदकों के अलावा उन्होने भारत को नौ मेडेलियन भी दिलाए। मेडेलियन पाने वालों में आनन्द कुमार अरमुघम एवं वरुण गौड़ा की जोड़ी (मेकाट्रानिक्स), रहीम मोमिन (ईंट जोड़), समर्थ महेश एवं विभोर मनोज की जोड़ी (मोबाईल रोबोटिक्स), अशरफ जमाल (ज्वेलरी), करिश्मा सुनील गुप्ता (ब्यूटी थेरेपी), आदित्य प्रताप सिंह राठौर (ऑटोमोबाइल तकनीक), करण धालिवाल (रेस्टोरेंट सेवा), शाहाद शाहिद मंजिल (कार पेंटिंग) तथा सिमोल प्रेमराज अल्वा (ग्राफिक डिजाइन) शामिल हैं। इनके अलावा अरुमुघम करन (केश विन्यास), तलत रज़िया (फैशन टेक्नालोजी) और साहिल बुद्धिराजा (पाकशास्त्र) ने बड़ी ही बारीक अंतर से मेडेलियन गंवाया, जबकि करिश्मा गुप्ता कांस्य पदक हासिल करने से बाल-बाल रह गईं। इसी तरह अशरफ जमाल और रहीम मोमिन पदक के बेहद करीब आकर भी उससे वंचित कर गए।
पदक तालिका में भारत एक रजत, एक कांस्य तथा 9 मेडेलियन के साथ 19वीं पायदान पर है, जबकि 15 स्वर्ण, 7 रजत, 8 कांस्य तथा 12 मेडेलियन जीतकर चीन ने कौशल के क्षेत्र में अपना दबदबा कायम किया है। कोरिया 8 स्वर्ण, 8 रजत, 8 कांस्य तथा 16 मेडेलियन लेकर चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। तीसरे स्थान पर रहनेवाले स्विट्जरलैंड को 11 स्वर्ण, 6 रजत, 3 कांस्य तथा 13 मेडेलियन मिले हैं। पदक तालिका को छोड़कर अगर अंक तालिका की बात करें, तो इसमें भारत का स्थान 15वां है। उसे कुल 18044 अंक मिले हैं, जबकि 35461 अंकों के साथ रूस अंक तालिका में पहले नंबर पर है। कुल अंकों के मामले में रूस और ब्राजिल दोनों ही चीन से ऊपर हैं। चीन को कुल 34103 अंक मिले, जबकि ब्राजिल को 34901 अंक। कम पदक पाने के बावजूद अंक तालिका में रूस पहले स्थान पर है क्योंकि उसके सभी 51 प्रतियोगियों का सम्मिलित अंक सबसे अधिक रहा।
गौर करने की बात है कि भारत जहां कुल 26 स्पर्घाओं में भाग ले रहा था, वहीं रूस कुल 51 स्पर्घाओं में भाग ल रहा था। उसी तरह चीन कुल 47 स्पर्घाओं में जोर आजमाइश कर रहा था। 44वीं विश्व कौशल प्रतियोगिता में सबसे कम हिस्सेदारी कुवैत की थी, जिसने सिर्फ दो स्पर्घाओं के लिए अपने प्रतियोगी भेजे थे। हालांकि कोरिया पदक तालिका में दूसरे स्थान पर है, किन्तु उसका औसत प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। उसने कुल 42 स्पर्घाओं में भाग लिया और उनमें उसे कुल 30486 अंक मिले - यानी औसत 725.86 अंक। यहां गौर करने लायक है कि कोरिया ने अपने जिन 42 प्रतियोगियों को मैदान में उतारा, उनमें 24 ने पदक जीता, और 16 को मेडेलियन मिला। मात्र दो ही मेडेलियन या मेडल पाने से चूक गए। इसके मुकाबले भारत का औसत प्रदर्शन फीका ही कहा जाएगा। उसने 26 स्पर्घाओं में बाग लेते हुए कुल 18044 अंक बटोरे, यानी औसत 694 अंक।
गौर करने योग्य है कि विश्व प्रतियोगिताओं में 700 अंक उत्कृष्टता का पैमाना माना गया है। इसका मतलब हुआ कि भारत का औसत प्रदर्शन उत्कृष्टता की कोटि में नहीं रहा। विश्व बाजार में हमारे प्रबल प्रतिद्वंद्वी चीन का औसत प्रदर्शन हमसे कहीं बहुत अच्छा रहा है। उसने 47 स्पर्घाओं में भाग लेते हुए कुल 34103 अंक हासिल किए, यानी औसत 725.60 अंक। चीन औसत अंक तालिका में दूसरे स्थान पर है और भारत 27वे पर। इस तरह देखा जाए तो भारत पदक तालिका में 19वे स्थान पर है तो अंक तालिका में 15वें स्थान पर, जबकि औसत के आधार पर कुल 57 प्रतियोगी देशों के बीच उसका स्थान 27वां है। इसका मतलब साफ है कि उसकी सबसे मजबूत कड़ी और सबसे कमजोर कड़ी के बीच अभी बड़ा अंतर है, जिसे पाटकर ही वह कौशल क्षेत्र में विश्व गुरु होने का दम भर सकता है। बड़ी बात यह है कि मंजिल दूर हो, पर 44वीं विश्व कौशल प्रतियोगिता में अपने प्रदर्शन से हमारे हौसले मजबूत हुए हैं।